Sunday, February 27, 2011

LIFE SHYARI


जिन्दगी रोज़ आजमाती है,
नित नए गुल खिलाती है
जिनको बामुश्किल भूला,
उनकी फिर याद दिलाती है
कभी गम के माहौल मै ख़ुशी देती है,
और कभी माहौले ख़ुशी गम देती है
कल जो दिखाते थे खंजर हमको,
आज पहना रहे हैं हार हमको
कल जो देखते थे साथ मैं चाँद,
आज हिलाते हैं चाँद से हाथ
जिन्दगी का खेल कमाल का है,
मसला ये "निरंतर" हर जान का है
जिन्दगी रोज़ आजमाती है,
नित नए गुल खिलाती है


मजारों मैं सोये हुए हैं,अच्छे और बुरे
प्यार और नफरत के चहेते,रंगीन और बदरंग चेहरे
किस्मत किसी की, बदकिस्मती किसी क़ी,
यह मजबूरी ही है, बगल मैं कौन किसके लेटे
कोई बता नहीं सकता, आज क़ी दूरी होगी
क्या कल क़ी नजदीकी?
कोई कह नहीं सकता, आने वाले वक़्त का अहसास
कभी हो नहीं सकता, वक़्त तो वक़्त है
वक़्त पर ही बताएगा, किस का होगा क्या अंजाम
ये वक़्त ही बताएगा


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